Tuesday, August 20, 2013

क्या थी ज़रूरत इसकी?

क्या सबब इसका ,क्या वजह ,क्या ज़रूरत इसकी 
कहता है-सवाल ना कर ,है बड़ी अहमियत इसकी। 
ये जो बेख़ुदी,बदहवासी,बेहोशी की हालत है ,
कहता है- तेरी सोच से परे है मसलेहत इसकी।

दिल में भरा है ग़म, ज़हर ज़िन्दगी में है 
कहते हो खुश रहो। बेवकूफी ही तो है।
सदके का दिलासा भी बहुत ख़ूब है मगर,
बच्चा नहीं हूँ,बहलाते हो तबियत किसकी। 

कहे,बस ग़म उठाये जा और इक आह भी ना कर 
नेमत है उसकी,सोच,दर्द की परवाह भी ना कर। 
ये दर्द उठाना,ख़ुश रहना,उसका शुक्रिया करना,
है हशर में बड़े फायदे, है बड़ी इज्ज़त इसकी।              हशर =judgement day

सर यूँ ही झुका देता।क्यों? ऐसा क्यों किया?
दुनिया बना के,सब कुछ पेचीदा क्यों किया। 
नफ़स,शफ़क़,मौत,ये एहसास क्यों दिया ?                 नफ़स=breath, शफ़क़=love 
मेरे मौला,तू ही बता,क्या थी ज़रूरत इसकी?

शारिक़ नूरुल हसन 



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